पापा आपके जाने के बाद | Papa ki yaad kavita
पापा आपके जाने के बाद
( Papa aapke jane ke baad )
आपके जाने के बाद
आँगन का ख़ालीपन कभी न भर पाया
दहलीज लांघ तो ली
मगर खुशियों को तिनके में ही जुटाया
कभी ना खिली माँ के चेहरे की रंगत
खिली फिर खिला कोई फूल यहाँ
पापा आपके जाने के बाद
हर बार फटकार लगाती है ज़िंदगी
सिमट जाती है रातों के अंधेरेपन में
आंसुओं की धार में बसर करती है
माँ की आंखों में ठहरा हुआ समुंदर
बहने को आतुर है मगर ठहरी हुई है
पापा आपके जाने के बाद
चल रही है ज़िंदगी कट रहा है लम्हा
पर उम्मीदें जल चुकी हैं तपन की आग में
ना कोई ख्वाहिश बची ना ख़ाब देखते हैं
कंधे पर रख के जिम्मेदारियाँ
हर दिन नया सफ़र तय कर रहे है
पापा आपके जाने के बाद
पापा आपके जाने के बाद।
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लेखिका :- नेहा यादव
लखनऊ ( उत्तरप्रदेश )