Paryavaran sanrakshan par kavita
Paryavaran sanrakshan par kavita

पर्यावरण

( Paryavaran )

 

विविध जीवों का संरक्षण मान होना चाहिए।
स्वस्थ पर्यावरण का संज्ञान होना चाहिए।।
अधिक वृक्ष लगा करके धरती का श्रृंगार हो,
वृक्षों की उपयोगिता पर ध्यान बार बार हो।
वृक्ष, प्राणवायु फल छाया लकड़ियां देते हैं,
उसके बदले हम उन्हें सोचो भला क्या देते हैं।
दस पुत्र समान द्रुम हैं ज्ञान होना चाहिए।।
स्वस्थ पर्यावरण ०

विविध जीव संरक्षण स्वच्छ नदी नार हो,
पोखर झील कुंए आदि से भी बहुत प्यार हो।
रासायनिक विषाक्त जल का शोधन कीजिए,
सदा वाहिनियों में कूड़ा कचरा न फेंकिए।
पर्यावरणविदों का सम्मान होना चाहिए।।
स्वस्थ पर्यावरण ०

धुआं मिश्रित विषाक्त कण प्राणघातक हो रहे,
वैश्विक उष्णता बढ़ी ओजोन छिद्र बढ़ रहे।
मृदा का संरक्षण पोषण आवश्यक कार्य है,
पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण भी अपरिहार्य है।
प्रदूषण के हर रूप का अवसान होना चाहिए।।
स्वस्थ पर्यावरण ०
सामाजिक पर्यावरण में संतुलन आवश्यक है।
स्वच्छ स्वस्थ सहजता, मानवता का ज्ञापक है।
‘जीओ और जीने दो’ पर विचार होना चाहिए,
भयमुक्त प्रसन्न चित्त संसार होना चाहिए।
ज्ञान दीप शेष प्रकाशवान होना चाहिए।।
स्वस्थ पर्यावरण ०

 

?

कवि व शायर: शेष मणि शर्मा “इलाहाबादी”
प्रा०वि०-नक्कूपुर, वि०खं०-छानबे, जनपद
मीरजापुर ( उत्तर प्रदेश )

यह भी पढ़ें : –

माँ | Kavita Maa | Mother’s Day 2022 Poem

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here