पत्नी और प्रेमिका

पत्नी और प्रेमिका | Patni aur premika par kavita

पत्नी और प्रेमिका

( Patni aur premika )

 

पत्नी और प्रेमिका

दोनों भिन्न प्राणी है

एक को समाज,घर और कानून

मान्यता देता है

दूसरे को सिर्फ़ प्रेमी मान्यता देता है

 

पत्नी का बीच राह पर

हाथ पकड़ कर चल सकते हो

लेकिन प्रेमिका के साथ नहीं

किसी के पूछने पर

बेझिझक

यह तो कह सकते हैं कि

ये मेरी पत्नी है

पर प्रेमिका के साथ होने पर

ज़बान सिल जाती है

घबराहट से…….!

 

रिश्तदार और भाई बन्धुओं में

पत्नी के साथ ही भले लगोगे न

प्रेमिका के साथ नहीं……..!

पत्नी को नजरअंदाज

नहीं किया जा सकता

उसके समर्पण को

उसके घर से लगाव को

अनदेखा नहीं कर सकते हो…….

 

अंत समय भी पत्नी ही साथ होगी

प्रेमिका कभी नहीं

एक के साथ रिश्ता जायज़ है तो

दूसरी के साथ नाजायज़……..!!

 

जायज़ और नाजायज़ का

भेद जिस दिन समझ जाओगे

उस दिन पछतावे के सिवा

तुम्हारे पास ओर कोई

चारा नहीं होगा……….!!

?

कवि : सन्दीप चौबारा

( फतेहाबाद)

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