वो मजदूर है
वो मजदूर है

मैं भारत का मजदूर हूं

( Main bharat ka majdoor hoon ) 

 

मैं भारत का मजदूर हूं, मेहनत की रोटी खाता हूं।
धूप छांव सर्दी गर्मी में, नित खून पसीना बहाता हूं।
मैं भारत का मजदूर हूं

कला कौशल दिखलाता, महल इमारत गढ़ने में।
हाथों का हुनर रंग लाता, ऊंची अटारी चढ़ने में।
परिवार का पेट भरने, परदेश तलक भी जाता हूं।
सड़क पुल घर जोड़े, मैं भाग्य जोड़ नहीं पाता हूं।
मैं भारत का मजदूर हूं

सीधा सरल जीवन मेरा, नील गगन तले बसेरा है।
गांव की झोपड़ी आसरा, बस आशाओं का डेरा है।
जुटा पाता दो जून की रोटी, दिन भर जुट जाता हूं।
महल खड़ा करने वाला, धरती पर बिछोना पाता हूं।
मैं भारत का मजदूर हूं

महंगाई की मार सहता, मारा मारा सा फिरता हूं।
आंधी तूफां मुश्किलों से, पीर बीमारी से घिरता हूं।
ठेकेदारों के चक्कर में, चक्कर खा गिर जाता हूं।
मोटी रकम गटक जाते, दो वक्त की रोटी पाता हूं।
मैं भारत का मजदूर हूं

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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