Pehchan Shayari
Pehchan Shayari

उसने पहचाना मुझे

( Usne pehchana mujhe ) 

 

मिल गया क़िस्मत से शायद ऐसा याराना मुझे
शाम ढलते ही पिलाता है जो पैमाना मुझे

मुद्दतों से ख़्वाब जिसके देखती आई हूँ मैं
तू वही है इतना कह के उसने पहचाना मुझे

उसके दिल की बात को पल में समझ लेता हूँ मैं
आँखों आँखों में पढ़ा देता है अफ़साना मुझे

एक दो प्यालों से मेरी प्यास तो बुझती नहीं
छोड़ दे तू अब तो साक़ी और तड़पाना मुझे

मस्तियों में डूबी डूबी है फ़िज़ा चारों तरफ़
मार डालेगा यक़ीनन तेरा बलखाना मुझे

मेरे पीने का सलीक़ा उसको इतना भा गया
दे दिया उसने ख़ुशी से सारा मैख़ाना मुझे

इस कदर मशहूर दोनो हो गये हैं आजकल
दुनिया वाले कह रहे हैं तेरा दीवाना मुझे

प्यार क्या होता है मैं इस बात से अंजान हूँ
कैसे होता है ये साग़र आज समझाना मुझे

 

कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
यह भी पढ़ें:-

मैं दिल से ख़ूबसूरत हूँ | Khoobsurat Shayari

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here