![Poem bujurgon ka samman Poem bujurgon ka samman](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2022/04/Poem-bujurgon-ka-samman-696x464.jpg)
बड़े बुजुर्गों का सम्मान जरूरी है
( Bade bujurgon ka samman jaruri hai )
बड़े बुजुर्गों का सम्मान जरूरी है,
दिल में पलते भी अरमान ज़रूरी है,
यार अंधेरों का साया है जिस घर में,
उस घर में भी रोशनदान ज़रूरी है,
बाप की पगड़ी बच्चों ने नीलाम किया,
एक पिता का भी ईमान ज़रूरी है,
अपने घर की सुंदरता से लगता है,
नदी किनारे रेगिस्तान ज़रूरी है,
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई के दिल में,
अपना प्यारा हिंदुस्तान ज़रूरी है।
कवि – धीरेंद्र सिंह नागा
(ग्राम -जवई, पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )
उत्तर प्रदेश : Pin-212218