Poem dekhiye jo jadon se

देखिये जो जड़ों से | Poem dekhiye jo jadon se

देखिये जो जड़ों से

( Dekhiye jo jadon se )

 

पेड़ बस वो ही सारे, सूखे हैं।
देखिये जो जड़ों से, रुखे हैं।।

 

कितना मायूस हो के लौटे हैं,
जो परिंदे शहर से, छूटे हैं।।

 

उनको मालूम है हवा का असर,
जिनके पर रास्तों में, टूटे हैं।।

 

मत लगा मुझ पर नयी तोहमत यूँ,
हम कहाँ तुझसे कभी, रूठे हैं।।

 

आपके  पैर  धो  के पी लेगा,
उसके बच्चे बहुत ही, भूखे हैं।।

 

बेवजह क्यों बदल गये “चंचल”,
हम तो सच्चे हैं, नहीं झूठे हैं।।

🌸

कवि भोले प्रसाद नेमा “चंचल”
हर्रई,  छिंदवाड़ा
( मध्य प्रदेश )

 

यह भी पढ़ें : –

अभी और सधना होगा | Poem abhi aur sadhna hoga

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *