Poem jab tak bhala kiya
Poem jab tak bhala kiya

जब तक भला किया

( Jab tak bhala kiya )

 

जब तक भला किया,वो सहारा बना रहा।
आँखों में हर किसी के,सितारा बना रहा।।

 

चाहा कि अपने वास्ते,दो पल जियूँ कभी
अपनों का उस घड़ी से, किनारा बना रहा।।

 

रिश्तों को टूटने से बचाने के वास्ते,
आकर विजय के पास, हारा बना रहा।।

 

कितने बने वतन, कितने ही मिट गये
हिंदुस्तां की जय हो, नारा बना रहा।।

 

जिसके भी ख्वाब हमसे पूरे नहीं हुये,
दुश्मन बहुत दिनों तक, हमारा बना रहा।।

 

माना कि बेवफ़ाई, बेशक वो कर गया
“चंचल”अभी तल्ख पर, प्यारा बना रहा।।

🌸

कवि भोले प्रसाद नेमा “चंचल”
हर्रई,  छिंदवाड़ा
( मध्य प्रदेश )

 

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