जो चला गया | Jo chala gaya | Poem in Hindi
1. जो चला गया
जो चला गया हैं छोड़ तुझे,उस मोह में अब क्या पड़ना हैं।
जीवन सूखी बगिया में, सब रंग तुम्हे ही भरना हैं।
आसूं का संचय करो हृदय में, जिष्णु सा सम्मान भरो,
इतिहास अलग ही लिखना है, अवनि को तुमको छूना है।
2. हमीं से मोहब्बत
हमीं से मोहब्बत हमीं से शिकायत।
हमीं उनकी चाहत हमीं से बगावत।
जो चाहे करो तुम मगर याद रखना,
जो हैं इनका कैदी ना उसकी जमानत।
3. घायल मन
घायल मन से रक्त बिन्दुओं को अब तो बह जाने दो।
मुक्ति मार्ग के पथ पर चल करके निज ताप मिटाने दो।
कब तक फंसे रहोगे तम रूपी इस मोह के बन्धन मे,
अन्तर्मन के दिव्य चक्षु को खोल मोह मिट जाने दो।
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कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )