
क्रोध
( Krodh )
क्रोध की अपनी सीमा है और, क्रोध की भी मर्यादा है।
सही समय पर किया क्रोध, परिणाम बदलता जाता है।
राघव ने जब क्रोध किया तब, सागर भय से कांप उठा,
स्वर्ग पधारे जटायु जब, क्रोधित हो रावण से युद्ध किया।
समय पे क्रोधित ना होने का, दण्ड भीष्म ने सहा बहुत।
द्रौपदी का अपमान देखकर, क्रोध ना आया उनको जब।
हर बातों को अनदेखा कर, चुप हो जाना सही नही।
बिगड़ी बात सही होती तब, समय पर क्रोध अगर आती।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )
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