Poem on pita
Poem on pita

पिता

( Pita )

 

पिता एक चट्टान होता हैl
पिता का साया जब होता हैl
बेटा चैन की नींद सोता हैl
पिता बच्चों के सपनों को
अपनी आंखों में संजोता हैl
गंभीर रहता है मगर
भावनाओं से भरा होता हैl
ख्वाहिशों की फेहरिस्त को
पूरा कर ही सोता हैl
बेटी की विदाई पर पिता
छुप छुप कर रोता हैl
वह छायादार वृक्ष होता हैl
जिस के संरक्षण में सारा घर होता है l
हर सदस्य की समस्या को
बिना पूछे जान लेता है
वह नीव का पत्थर होता है
पिता से ही घर और जीवन होता हैl

 

❣️

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

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