रिश्तो का मेला | Poem on rishtey in Hindi
रिश्तो का मेला
( Rishton ka mela )
सद्भाव का संगम अनूठा
रिश्तो का मेला
जहां उमड़ता सागर है
अपनापन अलबेला
एक दूजे के दर्द बांटते
सुखों में रहते शामिल
तीज त्योहार होली दिवाली
सब मनाते हिलमिल
खुशियों का संसार हमारा
प्यारा रिश्तो का मेला
धागा है यह अटूट प्रेम का
बड़ा सुंदर सजीला
कोई आकर दे दे बधाई
कोई मंगल दे आशीष
कोई मदद को हाथ बढ़ाते
दुआओं की होती बारिश
मधुर स्वर में कोई पुकारे
रिश्तों मैं अपना जान
रिश्तेदार कभी आते हैं
बनकर हमारे मेहमान
हंसी-खुशी माहौल मिलता
खुशियों का आलम छाये
होटों पर नित नए तराने
साज मधुर संगीत सुनाएं
मधुर बरसे बरसात प्रेम की
लगता जब रिश्तो का मेला
मंगल सारे काम होते
मनभावन सुंदर सा रेला
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )