
संत रविदास
( Sant Ravidas )
रैदास कहो रविदास कहो संतो के वचन निराले है।
सदाचार सुधारस बरसता प्रभु जिनके रखवाले है।
भक्तिभाव में रत रहते भजन निरंतर भजते रहते।
पावन गंगा धारा से संदा मन के भाव रचते रहते।
अमृतवाणी होठों से झरती रहती मधुर रसधार।
सादगी से जीवन जीते जग को देते स्नेह दुलार।
मन चंगा कठौती में गंगा साक्षात दर्शन पा जाते।
हर्ष आनंद पा दुनिया में प्यार के मोती लुटा जाते।
कर्म करे भक्ति भाव से मन मंदिर में दीप जला।
हरि कृपा पाते सदा संत करते हैं सबका भला।
संत रविदास की गाथा यश गाथा गाई जाएगी।
धर्म कर्म के संत पुरोधा जयंती मनाई जाएगी।
श्रद्धा विश्वास प्रेम भरे जन आस्था पुजारी हो।
सबकी आंखों के तारे परम संत बलिहारी हो।
कितने मंदिर कितने भक्त कितने श्रद्धाभाव लिए।
कितने भंडारे होते जग हे संत तिहारो नाम लिए।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )