पत्थर दिल | Poem pathar dil
पत्थर दिल
( Pathar dil )
पत्थर फेंक दो मेरे यार पत्थर दिल मत बनो।
जोड़ो दिलों के तार बिना बात भी मत तनो।
मत बिछाओ राहों में कंटको के ढेर कभी।
मुस्कुरा कर थोड़ा देखो खिलेंगे फूल तभी।
कमियों को नहीं तारीफों के पुल सजाओ।
प्यार के मोती सुहाने प्रेम से जग में लुटाओ।
काम आए गर किसी के एहसान तो किया नहीं।
मानवता धर्म निभाया कुछ खरीद तो लिया नहीं।
क्यों गिनाए बार-बार ऐसा क्या तुमने कर दिया।
जुड़े होंगे दिल के तार जादू गीतों में भर दिया।
महकती वादियों सा तेरा मन भी खिल गया।
अनजान इन राहों में दिल से दिल मिल गया।
दे सको दुआएं हमको झोली फैला कर आएंगे।
प्यार से बुलाओ हमको फिर दौड़े चले आएंगे।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
काम आए गर किसी के एहसान तो किया नहीं।
मानवता धर्म निभाया कुछ खरीद तो लिया नहीं।
वाह!!!