पुस्तके ज्ञान का भंडार
( Pustake gyan ka bhandar )
बुद्धि दायिनी पुस्तकें सन्मार्ग दिखलाती है।
अथाह ज्ञान सागर है दिव्य ज्योत जगाती है।
प्रगति पथ को ले जाती सफलता दिलाती।
कला कौशल हूनर मानव को सीखलाती।
ज्ञान गुणों की खान है ग्रंथों का सुंदर रूप।
आलोकित जीवन हो मंजिल मिले सरूप।
तकनीकी विज्ञान संग समाया गीता ज्ञान।
वेद उपनिषद ग्रंथ रामायण और कुरान।
साहित्य समाहित बरसे पुस्तकों से रसधार।
शब्द शब्द मोती झरते भरा ज्ञान का भंडार।
लघुकथा लेख आलेख कहानी कविता छंद।
गीत ग़ज़लों मुक्तकों से हर्षित पाठक वृंद।
बदलती तकदीर किताबे भाग्य के खुले द्वार।
आओ पढ़ें पुस्तके हम भी जाने सारा संसार।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )