जीते जी मर जाना
( Jeete jee mar jana )
मजबूरियों में ना जीना साहस तो दिखलाना।
जिंदगी के सफर में प्यारे एक मुकाम बनाना।
मेहनत के दम से बढ़ना हाथ ना फैलाना।
मांगन मरण समान है जीते जी मर जाना।
सेवा संस्कार बड़े सबका आदर सत्कार करो।
बड़ों की सेवा करके दुआओं से झोली भरो।
मां-बाप तीर्थ सारे कभी आंखें मत दिखलाना।
वृद्धाश्रम भेजने वालों अरें जीते जी मर जाना।
पुण्य कर्म परोपकार जनहित आगे बढ़ना।
दुख दर्द बांट औरों का ऊंचाईयों को चढ़ना।
प्यार के मोती लुटाकर तुम देखो हाथ बढ़ाना।
स्वार्थ में जीने वालों तुम जीते जी मर जाना।
आंधी तूफानों में चलना संघर्षों में पलना।
जीवन के अनुभवों से हर हाल में ढलना।
जिंदगी के सफर में जरा काम किसी के आना।
मतलबी जीवन से तो अच्छा जीते जी मर जाना।
बेईमानी झूठ फरेब छल छिद्रों में रखे ध्यान।
सत्य सादगी से दूर रहे करे दुर्गुणों का सम्मान।
अभिमान को अंगीकार कर मतलब ही जाना।
औरों का हक खाने वालों जीते जी मर जाना।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )