सनातन नववर्ष | Poem sanatan nav varsh
सनातन नववर्ष
( Sanatan nav varsh )
हर हर महादेव गूंजे सब रामनाम जय कार करे।
श्रद्धा और विश्वास भरकर हर हिंदू हूंकार भरे।
वर्ष नया हो हर्ष नया हो घटा प्रेम की छाई हो।
जय श्री राम के नारों से गूंज रही अमराई हो।
आस्था विश्वास हृदय में भावो की बहती धारा।
चक्र गदा त्रिशूल हाथों में रक्षक हैं राम हमारा।
धर्म ध्वजा के राजदुलारे घट घट वासी राम हमारे।
मर्यादा पुरुषोत्तम प्यारे सकल चराचर के रखवारे।
घर घर भगवा लहराए जग केसरिया बाना दमके।
उमंग भरी हो तरुणाई खुशियों भरा भाल चमके।
रामकृष्ण की पुण्यधरा अविरल बहती गंगाधारा।
अटल हिमालय हुंकार भरे बसे शिव भोला प्यारा।
सनातन नववर्ष हमारा मेरे हिंद की पहचान है।
वंदन अभिनंदन हमारा मधुर वाणी लय तान है।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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