महान प्रख्यात कवि रवींद्रनाथ टैगोर
महान प्रख्यात कवि रवींद्रनाथ टैगोर
जन्म के साथ ही प्रख्यात ज्ञान लेकर पधारे थे धरा धाम में।
7 मई1961 कोलकाता की धरा की बड़ाई शोभा,
पिता देवेंद्र नाथ जी,माता शारदा जी की घर आंगन की।
दादाजी द्वारिका नाथ शहर की सबसे धनी लब्ध प्रतिष्ठित व्यक्ति।
उनके ज्यादातर शिक्षा घर पर ही संपन्न,
वह बचपन से कुशाग्र बुद्धि के 8 वर्ष की,उम्र में लेखन शुरू।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी सभी दिशा में कलम की कारीगरी।
कलम उनके हाथों में जादू की तरह उभरे हर विधा में रचना।
प्रख्यात कवि के साथ-साथ उपन्यासकार,नाटककार
चित्रकार,दार्शनिक,सच्चे देशभक्त हर क्षेत्र में महान योगदान ।
सब और रुझान दार्शनिक,चित्रकार रूप में भी महान भूमिका आदा ।
भारत का ही नहीं वरन एशिया का प्रथम नोबेल विजेता,
गीतांजलि पर 1913 में। गीतांजलि प्रकृति प्रेम आध्यात्मिक
चिंतन से ओत-प्रोत सुंदर समावेशन का उदाहरण ।
भारत,बांग्लादेश की वर्तमान राष्ट्रीय गान इन्हीं के द्वारा विरचित,
इसके विचारधारा की कल्पना में विश्व की झलक।
बंगाल की विभाजन का बहिष्कार, जलियांवाला बाग घटना
से नाइटवुड की उपाधि वापस विख्यात देशभक्ति का परिचय।
ऐसे विश्व प्रख्यात कवि के विषय में शब्दों में लिखना,बांधना,बयां करना मुश्किल।
यहां से योगदान देकर अपनी भूमिका अदाकार एक दिन प्रस्थान
एक साहित्यकार का जीवन दीपक बुझे 7 अगस्त 1941 को नमन।
भानुप्रिया देवी
बाबा बैजनाथ धाम देवघर