Duniya hai Khoobasoorat
Duniya hai Khoobasoorat

दुनिया है खूबसूरत!

( Duniya hai khoobasoorat )

 

दुनिया है खूबसूरत हमें जीने नहीं आता,
रूठे हुए लोगों को मनाने नहीं आता।
न कोई साथ गया है और न ही जाएगा,
सलीके से देखो हमें जीने नहीं आता।

जरूरत पड़ेगी चार कंधों की तुम्हें भी,
गर दिल मिला नहीं,हाथ मिलाने नहीं आता?
जरा ठहरो जिन्दगी की हकीकत भी समझो,
लुटाने तुम्हें आता है, बचाने नहीं आता।

किस निजाम से चल रही दुनिया,पता नहीं,
मजलूमों का संत्रास मिटाने नहीं आता।
बोना है तो संस्कार बो धरती के अंदर,
आतंक से हरेक को टकराने नहीं आता?

ओढ़-बिछा रहे धरती- आसमां को कितने,
वजीर के सामने आवाज उठाने नहीं आता।
खून से लथपथ हो चुका है नील गगन,
अमन का फूल क्यों बाँटने नहीं आता।

हाकिमों का पेट न जाने क्यों नहीं भरता?
देश को सुपरपावर बनाने नहीं आता।
चंद सालों में मिट जाती देश से मुफलिसी,
रिश्वतखोरी का सिलसिला तोड़ने नहीं आता।

 

रामकेश एम.यादव (रायल्टी प्राप्त कवि व लेखक),

मुंबई

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