पूर्वाग्रह
मैं सलमान, एक 25 वर्षीय बॉलर हूँ। मेरे परिवार में मेरे माता-पिता और एक छोटा भाई है। मेरे पिता एक व्यवसायी हैं और मेरी माता एक घरेलू महिला है। मैंने अपनी शिक्षा एक स्थानीय कॉलेज से पूरी की और उसके बाद मैंने क्रिकेट में अपना करियर बनाने का फैसला किया।
मैंने अपने करियर की शुरुआत एक स्थानीय क्लब से की और उसके बाद मैंने रणजी ट्रॉफी में खेलना शुरू किया। मेरे खेल की वजह से मैं जल्द ही एक जाना-माना नाम बन गया और मेरा सलेक्शन भारतीय क्रिकेट टीम में हो गया।
लेकिन मेरे करियर में एक बड़ा झटका तब लगा जब मैं एक मैच के दौरान चोटिल हो गया। मेरे घुटने में गंभीर चोट लगी और मुझे ऑपरेशन करवाना पड़ा। मैं अगले 8 महीने बैसाखियों पर रहा और मेरा लगातार इलाज चलता रहा।
इस दौरान मेरे परिवार ने मेरा बहुत साथ दिया और मुझे हिम्मत दी। मेरे माता-पिता ने मेरी देखभाल की और मेरे भाई ने मुझे खेल के बारे में प्रेरित किया।
जब मैं ठीक हो गया, तो मैंने अपने करियर को फिर से शुरू करने का फैसला किया। मैंने रणजी ट्रॉफी में खेलना शुरू किया।
लेकिन मेरे करियर में एक और बड़ा बदलाव तब आया जब मैं रणजी ट्राफी के दौरान पंकज से मिला। पंकज मेरे सीनियर खिलाड़ी थे और वह उस समय भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी थे।
शक्ल से ही पंकज मुझे गुस्से वाला, अजीब सा शख्स लगता था। हालांकि हम लोगों ने साथ में पहले भी मैच खेले थे। हममें मैचों के बाद एक दूसरे से कभी हैलो, हाय नहीं हुई थी।
इंडिया के ऑस्ट्रेलिया टूर के लिए खिलाड़ियों का चयन किया जाना था। टॉस हुआ। हमारी टीम की बैटिंग आई। मैं बालकनी में आकर बैठ गया। हमारी बालकनी के साथ ही इंडिया टीम के सलेक्टरों की बालकनी थी। पंकज ने वहाँ से मुझे देखा तो वह इंडिया की बालकनी से उठकर हमारी बालकनी में आया। वह दोनों हाथ में दो कप कॉफी लेकर आया। एक मेरे लिए और एक अपने लिए। पास आकर उसने मुझे कॉफी देते हुए कहा-
“यह आपके लिए।”
पंकज को आता देखकर मैं उठा। कॉफी लेते हुए पंकज से सवाल किया- “कप्तान जी, क्या हाल-चाल है?”
पंकज बोला- “सब ठीक है। सब बढ़िया है।”
इसके बाद हम बैठ गए। पंकज 30 मिनट मेरे पास बैठा रहा। उसने मुझसे पूछा- “सुना है, तुम्हें घुटने में इंजरी हो गई थी, क्या हुआ?”
सारा समय वह मेरे से पूछता रहा, मुझे सुनता रहा। मुझसे बातें करता रहा। बातें करते-करते उसने मुझे ढ़ेरों दुआएं दी। विश यू, बेस्ट ऑफ लक, बहुत जल्दी फिट होकर दोबारा देश के लिए खेलो… ऐसी शुभकामनाएं देता रहा।
जब वह चला गया तो मैं खुद पर बहुत शर्मिंदा हुआ। सोचने लगा- ‘यार मैं इस बंदे को क्या समझता रहा? और यह बंदा कितना अच्छा इंसान है! इंडिया का कप्तान भी है, मेरा सीनियर खिलाड़ी भी है। बताओ, दूसरी तरफ से सिर्फ मेरे लिए आया। मुझसे मिला। पूरा आधा घंटा मेरे साथ बैठा।’
रणजी ट्राफी के प्रदर्शन के आधार पर मेरा चयन भारतीय क्रिकेट टीम में हो गया। लगभग 3 महीने बाद एक प्रोग्राम में मेरा पंकज से मिलना हुआ। मैं सीधा पंकज के पास पहुंचा और उनसे कहा- “बड़े भाई, मुझे माफ करना।”
“क्यों? क्या हुआ?” उन्होंने सवाल किया।
और इसके बाद मैंने अपने मन की सारी बातें और उनके प्रति खुद की गलत धारणा के बारे में सब बताते हुए कहा- “पहले मेरी आपके बारे में, आपको बिना जाने यह गलत सोच थी, लेकिन जब से आप रणजी ट्रॉफी मैच में मुझसे मिलकर आए हो, मेरा दिमाग घूमा हुआ है। मेरे दिल ने कहा- यार, पंकज से मिलकर मुझे सॉरी बोलना है। जिस अंदाज से आप मुझसे मिलने आए थे, यकीन करो… आपने मेरा दिल जीत लिया। जब से मैंने आपके साथ बात की और आपके साथ समय बिताया, मैंने पाया कि आप एक बहुत ही अच्छे और सहानुभूतिपूर्ण व्यक्ति हैं।”
“सलमान, तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं है। मैं समझता हूँ कि तुमने मुझे पहले गलत समझा था, लेकिन मैं खुश हूँ कि तुमने मुझे समझने की कोशिश की और मुझे एक मौका दिया।” यह कहकर पंकज ने मुस्कराकर सलमान को कसकर गले लगा लिया।
यह कहानी सच्ची घटना से प्रेरित है। हमें दूसरों के बारे में जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए, उनके बारे में कोई राय नहीं बनानी चाहिए। हमें दूसरों के साथ बात करने और उन्हें समझने की कोशिश करनी चाहिए। किसी व्यक्ति के बारे में पहले से ही धारणा बना लेने को पूर्वाग्रह कहते हैं।
पूर्वाग्रह का मतलब होता है, किसी मामले के तथ्यों की जांच किए बिना ही राय बना लेना या मन में निर्णय ले लेना। पूर्वाग्रह दोषपूर्ण और दृढ़ सामान्यीकरण पर आधारित होते हैं।

लेखक:- डॉ० भूपेंद्र सिंह, अमरोहा
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