Prasad par kavita

प्रसाद | भोग | Prasad kavita

प्रसाद | भोग

( Prasad | Bhog )

 

छप्पन भोग चढ़े सांवरा रुचि रुचि भोग लगाओ।
मीरा गाए भजन बैठकर प्यारे माधव मुस्काओ।

 

भक्ति भाव से भक्त तिहारे मोदक प्रसाद लगाए।
माखन मिश्री कृष्णा प्यारा ठुमक ठुमककर खाए।

 

खीर चूरमा भोग चढ़े जय बजरंगबली हनुमान।
संजीवन लेकर पवनसुत लक्ष्मण के बचाए प्राण।

 

पीरों के पीर रामसा पीर हारे का सहारा श्याम
ध्वजा नारियल भेंट चढ़ायें बनते बिगड़े काम।

 

करमा बाई भक्त श्रद्धा से भर थाल खीचड़ो लाई।
जीमो बाबा श्याम धणी कान्हा को बैठ जिमाई।

 

लड्डू पेड़ा और बताशा मिश्री मेवा भोग लगाओ।
आराध्य परम प्रभु का आरती गा ध्यान लगाओ।

 

आस्था विश्वास जगे मन कीर्तन कर लो राम का।
भोग लगाओ राघव प्यारे सुमिरन सीताराम का।

 

 ?

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

सरहद की जिंदगी | Kavita sarhad ki zindagi

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *