
प्रीत की डोर
( Preet ki dor )
प्रीत की डोर लाई, हंसती मुस्काती बहना आई।
कलाई पर बांधे राखी, सदा खुश रहो मेरे भाई।
सावन की रुत आई, चुनर ओढ़ धरा गुस्काई।
रेशम की डोर बहना, राखी थाल सजाकर लाई।
अक्षत चंदन रोली, मस्तक तिलक लगाई।
हाथों में बांधे राखी, संग श्रीफल और मिठाई।
रक्षाबंधन पर्व शुभ आया, स्नेह सुधा बरसाया।
भाई बहन की खुशियां, राखी का त्योहार आया।
रक्षा महापर्व भाई बहन का, राखी का त्यौहार।
रक्षासूत्र रेशम की डोरी, बहना का है प्यार।
धरती अंबर पर्वत नदियां, वृक्षों को बांधे राखी।
मुस्कानों के मोती बांटे, आपस में बांधे राखी।
सद्भावो की सरिता बहती, भाव उमड़े प्रेम धरे।
ललाट दमकते भाई के, भंडार सारे रहे भरे।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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