मोहब्बत उसे भी थी | Prem Kavita
मोहब्बत उसे भी थी
( Mohabbat use bhi thi )
हां मोहब्बत उसे भी थी, वो प्यार का सागर सारा।
उर तरंगे ले हिलोरे, अविरल बहती नेह धारा।
नेह सिंचित किनारे भी, पल पल में मुस्काते थे।
मधुर स्नेह की बूंदे पाकर, मन ही मन इतराते थे।
कोई चेहरा उस हृदय को, हद से ज्यादा भाता था।
एक झलक पाते ही वो, दूर से दौड़ा आता था।
आंखों आंखों में बातें होती, दिल के जुड़ते तार तभी।
जन्मो जन्मो का नाता है, इतना था एतबार कभी।
दिल के सारे दर्द जानता, खुशियों की बरसात भी।
मधुर प्रेम का बहता झरना, लगे चांदनी रात भी।
उसकी एक हंसी में कितने, प्यार के मोती आते थे।
हां मोहब्बत उसे भी थी, वो गीत प्यार के गाते थे।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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