मैं फिर आऊँगा

मैं फिर आऊँगा

( Main phir aunga )

 

सुनो..तुम याद रखना

मैं फिर आऊँगा

टूटा हुआ विश्वास लौटाने

टूटी हुई उम्मीद पाने को

अपने बीच पड़ चुकी

अविश्वास और नाउम्मीदी

की गाँठ को खोलने के लिए….

मैं फिर आऊँगा

एक न एक दिन

ये तुम्हें यकीन दिलाता हूँ

कि लौटना कठिन क्रिया नहीं है

बस..दिल में मिलन की

एक आस जरूरी है….!

सुनो..तुम याद रखना

मैं फिर आऊँगा

तुमसे मिलने

तुम्हारे ही शहर….!!

 

कवि : सन्दीप चौबारा

( फतेहाबाद)

यह भी पढ़ें :-

सीख लिया है | Kavita

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here