प्रेम-रसपान ( फिल्म स्क्रिप्ट )

प्रेम-रसपान ( फिल्म स्क्रिप्ट )

प्रेम-रसपान ( फिल्म स्क्रिप्ट )

हरा-भरा जंगल,इधर-उधर भागते सारे जानवर | जंगल मे हलचल मची है , जैसे कोई शेर आ गया हो,सारे जानवर डरे हुए हैं | तभी ये क्या,तेज गति से भागते हुए दो शेर,एक रथ खीच रहे हैं |

रथ पर सबार सुन्दर राजकुमार,मनमोहक छवि,क्षरहरा बदन,तीर से शिकार पर निशाना लगाते हुए राजकुमार उत्तम आगे बढ रहे हैं | तीर छूटा,शिकार झाडियों मे गुम हुआ |

उत्तम रथ से उतर पैदल आगे बढे, रथ पीछे छूटा राजकुमार उत्तम ने तीर खींच दूसरे शिकार पर निशाना साधा, तभी दूसरी ओर से घुंघरू की आवाज आई, (छन-छन) उत्तम पलटे, आवाज की ओर बढे |

सामने से एक लड़की अपना यौवन छलकाते हुए, मधुर आवाज में, पीछे पलट-पलट कर, बचाओ-बचाओ चिल्लाते हुए भाग रही है | उत्तम तो मोहित हो दिल गंवा बैठे |

की अचानक लड़की के पीछे वही घायल शिकार भाग रहा है,उत्तम ने तीर मार,शिकार को मार गिराया | तभी लड़की उत्तम से जा टकराई | लडकी को उठा, उसके बारे मे पूँछा, उसने अपना नाम नीलिमा बताया और कहा, पास के ही एक छोटे से राज्य के मंत्री तारण की बेटी है, वन में शिकार के लिये आई है, उसकी सहेलियां पीछे रह गईं, शिकार ढूड रहे थे, अकेला देख शिकार ही हमारे पीछे लग गया |

उत्तम नीलिमा को साथ ले रथ की ओर चला,रथ के शेरों को देख नीलिमा चीख कर उत्तम से लिपट गई,मासूमता देख उत्तम भी लिपट गए,फिर बताया,की ये हमारा रथ खींचते हैं | तभी नीलिमा की सहेलियां पहुँच,नीलिमा का हाल जान अपने साथ ले गई |

अगले दिन एक सिपही सितारा नीलिमा के राज्य उत्तम का संदेश ले पहुंच,मंत्री तारण से मिल,नीलिमा और उत्तंम के विवाह की बात कह,सगुन दिया | मंत्री के जैसे भाग खुल गए | खुशी से आँख भर कर नीलिमा से पूँछा |

नीलिमा ने कहा,उन्होने हमारी जान बचाई है,हम पर उनका पूरा अधिकार है,हमें मंजूर है |मंत्री ने तुरंत सगुन दे विवाह का वचन दिया | सिपही सितारा वापस आया….उधर…. भरे दरबार मे राजा उद्धव, अपने पडोसी राज्य के राजा यशवंत से बात कर, अपने पुत्र राजकुमार उत्तंम का विवाह राजा यशवंत की पुत्री राजेस्वरी से सम्पन कराने का वचन दिया |

….इधर….सितारा ने उत्तम को खुश-खबरी सुनाई | सुबह हो रही है,उद्धव दरबार के लिए निकले,उत्तम से भेंट कर राजेस्वरी के साथ विवाह के वचन की बात बताई | उत्तम ने बताया,की हमने भी पडोसी राज्य के मंत्री तारण की बेटी नीलिमा से विवाह का वचन दिया है, और उसी से विवाह करेंगे |

उद्धव ने नाराज हो मना कर कहा,अगर ऐसा हुआ तो अच्छा नहीं होगा,उत्तंम निराश हुए ,उत्तम काफी दिन तक परेशान हो सोचते रहे | कुछ दिन बाद सितारा ने मंत्री तारण को संदेश सुनाया,की अगले चार दिन मे राजकुमार उत्तम विवाह हेतु आपके राज्य पधारेंगे |

राज्य मे खुशहाली छा गई | सजाबट होने लगी,तैयारियां होने लगी,पकवान-मिठाईयाँ बनाने लगी,विवाह पत्रिका द्वारा निमंत्रण दिए गए, मंत्री ने अपने राजा राघुवंश को आमंत्रण दिया |

विवाह की तिथी समीप आई,नीलिमा को सुंदर वस्त्र आभूँषणो से सजाया गया | तभी राजकुमार उत्तम अपने कुछ मित्रों और सिपाहियों के साथ बिना किसी तैयारी के पधारे | सब स्वागत कर परिवार के बारे में पूँछा | उत्तम ने बताया,की माँ नहीं हैं |

मंत्री ने औरों के लिए पूँछा?उत्तम बोले,पिता जी ने हमारा विवाह पडोसी राज्य के राजा यशवंत की बेटी राजेस्वरी से कराने का वचन दिया है, पर हम नीलिमा से प्रेम करते हैं, विवाह करना चाहते हैं |मंत्री निराश हो राजा रघुवंस को व्याथा सुनाई |

राजा ने फैसला सुनाया,की आपके परिवार और राजा उद्धव के बिना ये विवाह नहीं हो सकता,हमारा छोटा सा राज्य,आपके पिता राजा उद्धव का बैरी नहीं बनना चाहता |अत: हम क्षमा प्रार्थी हैं,आप प्रस्तान करें |उत्तम और नीलिमा बेहाल थे |

अगले दिन उद्धव के दरबार मे,राजा रघुवंस के राजदूत उत्तम और नीलिमा की दास्तान सुना रहा था,तभी उत्तम का आना हुआ,राजा ने उत्तम से सच जाना,उत्तम ने सब सच-सच कहा |

राजा सुन कर नाराज हो बोले,तुमने मेरी आंन को रौंदा है,एक वर्ष के लिये हम तुम्हे बेदखल करते हैं,और कहा,अगर दूसरी बार तुम्हारी कोई भी फरियाद आई,तो सजा-ए-मौत देने से भी नहीं कतराएंगे,निकल जाओ |

उत्तम दंडवत प्रणाम कर चला | राजा का निर्णय कोई टाल नहीं सका,पर दुखी सब हुए | प्रजा,शाही सबारी के शेर,हांथी,घोड़े भी दुखी थे,उत्तम के साथ सितारा भी निकला |….उधर…राजा यशवंत को,उत्तम के बगाबत की खबर मिली |

….इधर….उत्तम जंगल मे जा वहीं रुके,जहाँ पहली बार नीलिमा से मिले थे,थक कर बैठ नीलिमा का मिलना याद कर,कैसी होगी सोचा |….उधर….नीलिमा भी भूँखी-प्यासी उदास है | महल मे सैनिक तैनात हैं अचानक सिपाही गायब,कुछ ही पल में वापस आ कर सीधा नीलिमा के कक्ष मे भोजन ले पहुँचा |

चेहरा दिखा,साथ मे भोजन कर कुछ कहा |अगली सुबह उत्तम और सितारा झोपडी बना रहे हैं | प्लान के तहत नीलिमा जंगल मे उसी जगह मिले,दोनो चुम्बक की भांति लिपट गए |

झोपडी तैयार है,सितारा को निगरानी मे लगा,जंगल मे मंगल हुआ,सुहागदिन,सुहागरत मे लिप्त,एक-दूजे को अपनी आगोश में ले चुके थे |…उधर…नीलिमा की खोज जारी हुई,नहीं मिली,परेशान हो मंत्री तारण,राजा रघुवंस के साथ राजा उद्धव से मिलने निकले |

…इधर…उत्तम और नीलिमा के मिलन की दूसरी रात समाप्त हो चुकी थी |…उधर…उद्धव के दरबार पहुँच अपना परिचय देते हुए बताया, नीलिमा दो दिनों से लापता है फिर उत्तम और नीलिमा की व्यथा सुना,उत्तम पर शंका जताई |

उद्धव ने भी अपना हाल बताया,अपनी दी हुई जबान(वचन),और बेदखल की कहानी बताई |उद्धव ने सिपाहियों को भेजा, दोनो को खोजने के लिए , की तभी राजा यशवंत अपनी पुत्री राजेस्वरी के साथ दरबार मे आ पहुँचे |

प्रणाम कर बोले,ये क्या महराज,आपके वचन की कोई कीमत ही नही,उद्धव शर्मिन्दा हो सब ठीक करने कह,विश्राम करने बोला |….उधर….उत्तम नीलिमा के साथ गाना गाते हुए,झोपडी मे अर्धनग्न प्रेमलिप्त हैं |

वहीं सितारा से तारा कुछ कहता है,गाने के बीच,सितारा प्रेम-रसपान के बीच ही आवाज दे उत्तम को बताया, की राजा उद्धव ने आपको बन्दी बनाने सिपाही भेजे हैं, उत्तम खुद को सम्हालते हैं, कुछ सोच पाते, उससे पहले दूसरे सैनिक आ पहुँचे, अचानक सिपाहियों ने घेर कर तीनो को बन्दी बना(उत्तम,नीलिमा,सितारा)ले गए |

….उधर….दरबार मे राजा रघुवंस,राजा यशवंत,पुत्री राजेस्वरी, मंत्री तारण,और अन्य लोग भी है | दरबार मे नोक-झोंक चल रही थी, राजा उद्धव सबको समझाते हुए,तभी भरे दरबार मे तीनो को पेश किया गया |

दोनो की हालत देख राजा उद्धव,शर्मसार होते हुए बोले,मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी,हमारी बात न रख सके | तुमने तो हमारी आबरू ही उतार फेंकी | उत्तम बोले,पिता जी हम भी आप ही का खून हैं,हमने भी किसी को वचन दिया है, जो हम निभा रहे हैं |

और भी बात-चीत हुई,उद्धव ने उत्तम की उद्धंडता(पाप)के लिए अगले दिन फैसला सुनाने कहा,तब तक दोनो को काराबास भिजवाया | कुछ देर बाद, उत्तम और नीलिमा आमने-सामने कैद हैं, मिलने को तड़प रहे हैं, इसी तड़प के साथ अधूरा गाना फिर शुरू हुआ,रजेस्वरी के कानों मे गाने के शब्द पड़े, राजेस्वरी उस ओर बढ़ी |

दोनो को एक-दूसरे के लिये तड़पता देख उसकी आत्मा मचल गई, आँखे बहने लगीं, छिप कर तड़प का मंजर देख, दोनो के प्यार की, पीडा को समझा |गाना समाप्त हुआ, राजेस्वरी ने दोनो से बात कर, दोनो को मिलाने का वचन दे, रोते हुए गई |

अगले दिन दरबार मे दोनो को पेश किया गया | बात-बिबाद(तर्क-बितर्क) चला, नतीजा निकला “सजाए मौत”दी जाए | दोनो की आखरी इच्छा पूँछी, दोनो ने साथ लिपट के मरने की इच्छा जाहिर की | सब लोग खडे हो गए, आपस में चर्चा हुई आखरी इच्छा मे क्या मांगा |

उद्धव भी खड़े हुए(प्यार बहुत करते हैं, पर राज गददी पर हैं) आदेश दिया, दोनो को सबसे तेज जहर पिला कर छोड़ दिया जाए | तभी आबाज आई, ठहरो, सब पलटे, राजेस्वरी खडी है |

राजेस्वरी बोली->महराज, आपका वचन टूटा, तो आपने दोनो को मृत्यू दंड दिया, पर दूसरे के वचन का क्या ?? आज अगर ये दोनो मर गए, तो प्रेम से विश्वास उठ जाएगा, प्रीत तो बदनाम हो जाएगी |

प्रेम बिन जीवन कैसा?? एक प्रीत(प्रेम)ही तो है, जो म्रत्यू-उपरांत भी हमें जीवित रखता है, लोग याद रखते है | और रही बात वचन की,तो पिताजी,,, कह दिजीए महराज से, जो इतने प्यार करने वाले बेटे को नहीं समझ सके |

जिसके लिए वचन ही सर्वोपरी है,प्रेम की कोई जगह नहीं है,तो हम खुद इस विवाह से इंकार करते हैं, हम महराज को उनके वचन से मुक्त करते हैं | और महराज से फरियाद करते हैं, की इन दोनो को मुक्त कर, दोनो का मिलन कराया जाए |

उद्धव ने कारण पूँछा ?? राजेस्वरी बोली–>आप भी राजकुमार से अत्यंत प्रेम करते हैं, पर वचन के लिए बेटे को म्रत्यू-दंड दिया | आपके बेटे नहीं रहेगे,तो वचन किस काम का?? क्या महराज की ब्रद्ध-अवस्था मे, वचन सहारा देगा ?

सारा दरबार तालियों से गूंज उठा |तालियां,राजेस्वरी की बात को सहमती दे रही थी |उद्धव ने फैसला बदला | राजा उद्धव ने दोनो को आजाद कर, दोनो के सम्बंधो को स्वीकार, सभी की उपस्थिती मे विवाह कराया, साथ ही उत्तम को नया राजा, नीलिमा को महरानी घोसित कर राजतिलक कराया | राजेस्वरी जाते हुए, उद्धव से उत्तम जैसा वर पाने की इच्छा जाहिर की | राजगददी पर स्टाइल से बैठते हुए उत्तम,,,,,,,,,
°°°°°°समाप्त °°°°°°

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फिल्म–> प्रेम-रसपान
लेखक –> सुदीश कुमार सोनी
गीत लेखक –> सुदीश कुमार सोनी
रजि.सदस्य –> 25830
रजि. नं.-398848
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लेखक:  सुदीश भारतवासी

Email: sudeesh.soni@gmail.com

नोट–> अगर आप इस स्क्रिप्ट पर आप फिल्म बनाना चाहते हैं तो कृपया लेखक से संपर्क करें, और भी Hollywood and Bollywood की scripts,stories & songs तैयार हैं, बिल्कुल नए अन्दाज मे | धन्यवाद ||

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