संम्भाल अपने होश को | Prerna Dene Wali Kavita In Hindi
संम्भाल अपने होश को
( Sambhal apne hosh ko )
उत्साह भर कर्मों में अपने
जीवन जीना सीख ले,
छोड़ अपनों का सहारा
खुद भाग्य रेखा खींच ले।
भीड़ में है कौन सीखा
जिंदगी के सीख को,
हाथ बांधे ना मिला है
मांगने से भीख को।
ढाल ले खुद को ही वैसे
देश जैसे भेष को,
त्याग दे ममता मोहब्बत
संभाल अपने होश को।
पाते वे जिम्मेदारियां
ढोल सके जो बोझ सा,
जीवन बिन जिम्मेदारियों का
हो जाता स्वयं बोझ सा।
देख ले पीछे पड़ा जो
खींचता है पांव को,
छोड़ ऐसे अपनेपन को
रोकता जो राह को।