प्यार को कब तक छुपाओगे मगर
प्यार को कब तक छुपाओगे मगर
हाल दिल का कब सुनाओगे मगर
छोड़ो भी नाराजगी दिल से अपनें
प्यार में कब तक सताओगे मगर
बेरुखी अब छोड़ दो दिल से जरा
दिल मेरा कब तक जलाओगे मगर
देखती हूं राह तुम्हारी हर घड़ी
ए सनम मिलनें कब आओगे मगर
क्या दिखाते यूं रहोगे बेरुखी
इश्क नजरें कब मिलाओगे
प्यार की बातें कर लो आज़म से
यूं गिले कब तक सुनाओगे मगर