प्यार से मां बना रही रोटी
प्यार से मां बना रही रोटी
प्यार से मां बना रही रोटी
हाँ खिलाती उल्फ़त भरी रोटी
हो रही मां गुस्सा बहुत मुझसे
खा गया है कोई सभी रोटी
आया जब से परदेश में हूँ मैं
याद आती मां की वही रोटी
इसलिए रह गया हूँ भूखा मैं
चूल्हे पे देखो जल गयी रोटी
भूख कैसे मेरी मिटेगी मां
हाँ अभी तक नहीं पकी रोटी
शादी करते हुआ अलग भाई
मां पकाती बूढ़ी रही रोटी
और किसी की रोठी नहीं अच्छी
अच्छी लगती मां की बनी रोटी
मिट गयी मेरी भूख जन्मों की
मां की *आज़म* खाकर बनी रोटी