गुजारी जिंदगी सुख की अभी तक
गुजारी जिंदगी सुख की अभी तक

गुजारी जिंदगी सुख की अभी तक

( Gujari Jindagi Sukh KI Abhi Tak )

 

 

गुजारी जिंदगी सुख की अभी तक

दुखो से ही भरी ये जिदगी है

 

अपनों के तंज इतने है मिले के

दिल पे ही  चोट  गहरी सी लगी है

 

मुहब्बत से नहीं देखा कभी भी

यहां तो नफ़रत अपनों ने करी है

 

ख़ुशी से जिंदगी कब है भरी ये

निगाहें आंसू से मेरी तो भरी है

 

उदासी इसलिए है तन्हाई की

यहां इक वो नहीं वरना सभी है

 

भटका है दर बदर आज़म नगर को

नहीं राहें मुहब्बत की मिली है

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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