प्यार की सांसों में वो बसा के लाओ
( Pyar Ki Sanson Mein Wo Basa Ke Lao )
प्यार की सांसों में वो बसा के लाओ!
दोस्त फ़ूलों से ख़ुशबू चुरा के लाओ
महके दामन हमेशा जिससें तेरा ये
दोस्त कोई ऐसा वो बना के लाओ
दें दग़ा जो कभी भी नहीं सांसों को
जीस्त में फ़ूल वो बावफ़ा के लाओ
फ़ूल दो ए हंसी प्यार के ही सनम
हाथों में ही न पत्थर उठा के लाओ
जल जायेगे यहां लोग तुझसे मुझसे
प्यार का फ़ूल आज़म छुपा के लाओ
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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