प्यार मेरा यार कब साकिन हुआ | Pyar mera shayari
प्यार मेरा यार कब साकिन हुआ
( Pyar mera yaar kab sakin hua )
प्यार मेरा यार कब साकिन हुआ
अब बड़ा पाना उसे मुमकिन हुआ
प्यार मेरा कब उसी ने समझा है
वो जिगर से कब सनम कमसिन हुआ
मुफ़लिसी का कब भला उसनें किया
इस जहां में वो बड़ा राहिन हुआ
क़ैद से कैसे रिहाई उसको मिले
की नहीं तैय्यार जो जामिन हुआ
हर किसी के ही समझे ज़ज्बात है
यार मेरा दिल बहुत कमसिन हुआ
बात ऐसी साथ आज़म के हुई
फ़िर बड़ा मेरा दुखी बातिन हुआ