
अब किसी से गुलाब मिल जाये
( Ab kisi se gulab mil jaaye )
अब किसी से गुलाब मिल जाये !
इक हंसी से ज़नाब मिल जाये
तरसे है पढ़ने को जिसे ये दिल
प्यार की अब क़िताब मिल जाये
तरसू गुल की ख़ुशबू से मैं कब तक
हुस्न का अब शबाब मिल जाये
भेजा है इजहारे जिसे ख़त कल
अब तो उसका ज़बाब मिल जाये
ग़म भरे दूर हो अंधेरे सब
खुशियों का आफ़ताब मिल जाये
कर लूँ “आज़म” दीदार उसका मैं
काश वो बेहिजाब मिल जाये