राम आयेंगे- राम आयेंगे | Ram Aayenge
राम आयेंगे- राम आयेंगे
” राम आयेंगे- राम आयेंगे”
राम गये ही कब थे जो राम आयेंगे
राम कहीं गये हैं क्या ?
अयोध्या छोड़ कर
राम तो — युगों-युगों से यहीं हैं
सरयू जी के निर्मल नीर से पूछो
राम बनवास गये
तो भी यहीं रहे
पादुकाओं के रूप में
राम किसी विशेष विग्रह में विद्यमान नहीं
वह तो व्याप्त हैं
हमारी मर्यादाओं में
हमारे आचरण में,
हमारी सांस्कृति में हैं राम
प्राकृति में हैं राम
मन के दर्पण में हैं राम
हर धड़कन में हैं राम
उनका प्रसार है हर दिशा में
हर दिवस , हर निशा में
राम तो अनुभव हैं
जीवन वैभव हैं
वह तो मानव के साथ
जीवन के आरंभ से अंत तक हैं…
राम तो प्रतिदिन
वायु के रूप में, सुगंध के रूप में ,
प्रकाश के रूप में आ कर कहते हैं—
‘मन का द्वार खोलो
मुझ से बोलो…
राम –रामायण का एक पात्र
मात्र नहीं हैं
वह ब्रह्मा जी के उन्तालीसवे
अवतरित अवतार हैं
जग के पालनहार हैं
उन्हें मात्र विग्रह में मत ढूँढों
राम तो जीवन का सार हैं
जीने का आधार हैं
उन्हें ह्रदय में बसाओ
राममय हो जाओ–।
डॉ जसप्रीत कौर फ़लक
( लुधियाना )