रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

( Ram lala ki pran pratishtha ) 

 

अब आ गई तारीख जिसका था हमें इन्तज़ार,
राम लला की प्राण प्रतिष्ठा अब होगी साकार।
सज गई अयोध्या नगरी सज गए वहां बाज़ार,
सारा विश्व बोल रहा वाह भारत तेरे संस्कार।।

ढोल-नगाड़े एवं पटाखें संग जलेंगे दीप हजार,
भवसागर से पार करेंगे वो सब को तारणहार।
अनुपम झांकी जहां सजेगी लगेगा रामदरबार,
धन्य होंगे सब दर्शन पाकर आएंगी ये बहार।।

राम-नाम सबसे बड़ा है पाया ना जिसका पार,
अभिनन्दन वंदन करों भक्तों जिनका नर नार।
अब आने वाला है वह क्षण आएंगे रघुवर द्वार,
संकट सारे हर लेंगे होगा ख़ुशियो का संचार।।

मनाओ सभी उत्सव इस दिन हो जाओ तैयार,
राजा रामचंद्र के दर्शनों को चलों संग परिवार।
सर्यूनदी में स्नान करके लग जाना तुझे कतार,
राजतिलक होंने वाला है सजेगा राम दरबार।।

श्रीविष्णु लीला अद्भुत है अद्भुत रामायण सार,
राम के संग करना माॅं सिया का जय जयकार।
अयोध्या पहुंचकर करना समर्पित भेंट उपहार,
पुष्प अर्पित कर प्रभु का करना सब सत्कार।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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