Ram vivah kavita
Ram vivah kavita

राम विवाह

( Ram vivah : kavita )

 

टूट चुका धनुष शिव का तोड़े रामचंद्र अवतारी है
सीताजी का हुआ स्वयंवर हर्षित दुनिया सारी है

 

देश देश से राजा आए दरबार भर गया सारा था
धनुष उठा सके नहीं जो शिव शक्ति से भारी था

 

विश्वामित्र कहे राम से सब जनक राज संताप हरो
रघुनंदन जा चाप चढ़ाओ मिथिला में आनंद करो

 

जयमाला लेकर सीताजी श्रीराम का वरण करें
आज अवध में खुशियां आई हर्ष मौज आनंद भरे

 

सजी धजी बारात पधारी हाथी घोड़े सज धजकर
देवन सुमन बरसाये नभ से आये सुंदर वेश धरकर

 

दशरथ घर में आज बधाई शहनाईयां बजने लगी
मंगल गीतों की लड़ियां अयोध्या सारी सजने लगी

 

परिणय बंधन राम जानकी प्रसंग सुहाना आता है
सीताराम सीताराम जो मन ध्यान लगाकर गाता है

 

यश वैभव सुख समृद्धि अन्न धन के भंडार भरे
संकट मोचन श्री रामजी भक्तों के सारे कष्ट हरें

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

कलम बोलती है | Kalam bolti hai kavita

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here