Kalam bolti hai kavita
Kalam bolti hai kavita

कलम बोलती है

( Kalam bolti hai )

 

कलम बोलती है कलम बोलती है

पूरा तोलती है पूरा तोलती है

 

गूंज उठती है मंचों पर प्यारी सी रसधार बने

गीत गजल छंद मधुर महकती बयार बने

 

बुलंद होती मुखर वाणी कुर्सियां डोलती है

कलम बोलती है कलम बोलती है

 

कांपते हैं जब दरबारी सिंहासन हो डांवाडोल

सत्ता के गलियारों में जब बढ़े बुराई हो रमझोल

 

लेखनी की ज्योत जला भेद मन के खोलती है

कलम बोलती है कलम बोलती है

 

दोहा सवैया शान भरे चौपाई की मधुरम तान

उमंग जगाए हृदय में ओजस्वी वीर रस गान

 

सौहार्द सद्भाव जगाती घट सुधारस घोलती है

कलम बोलती है कलम बोलती है

 

अंधकार सारे हर लेती दिव्य ज्ञान ज्योति लेकर

जोशीले भाव से गूंजे देश प्रेम भाव भरकर

 

हर आंधी तूफां में भी रुख हवा का मोड़ती है

कलम बोलती है कलम बोलती है

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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