राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर | Ramdhari Singh Dinkar par kavita
राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर
( Rashtriya kavi Ramdhari Singh Dinkar )
मैं दिनकर का अनुयायी हूं ओज भरी हुंकार लिखूं।
देशभक्ति में कलम डुबती कविता की रसधार लिखूं।
अन्नदाता की मसीहा लेखनी भावों की बहती धारा।
शब्द शिल्प बेजोड़ अनोखा काव्य सृजन लगे प्यारा।
शब्द जब मिलते नहीं भाव सिंधु हिलोरे खाता है।
हिलता है सिंहासन जब भी कलमकार थमाता है।
राष्ट्रहित में राष्ट्रदीप ले जो राष्ट्र ज्योति जलाता है।
कलम की मशाल जला उजियारा जग में लाता है।
शब्द सारे मोती बनकर जब दुनिया में छा जाते हैं।
दिल की धड़कनों से होकर होठों तक भी आते हैं।
कभी तराने गीतों के कभी आनंद की बरसात करें।
खुशियों का खजाना प्यारा प्रीत भरी हर बात करें।
जिनकी वाणी में झरती काव्य की ओज भरी रसधार।
शत शत वंदन मेरा उनको दिनकर को सादर नमस्कार।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )