रावण मारीच संवाद | आलेख
रावण मारीच संवाद
( Ravan marich samvad )
अपनी बहन शूर्पणखा के नाक कान काट लेने पर बदले की भावना से रावण ने सीता हरण की योजना बनाई। षड्यंत्र को मूर्त रूप देने की उसने मामा मारीच की सहायता चाहिए थी।
मामा मारीच एक मायावी राक्षस था जो ताड़का का पुत्र था। रावण मारीच के पास जाता है तथा अपनी योजना में उसको शामिल करना चाहता था। मारीच ने रावण को समझाया कि आप सोने की लंका के राजा है राम विष्णु के अवतार हैं स्वयं नारायण है।
आप श्रीराम से बैर मोल ना ले और लंका में सुखपूर्वक रहे रावण को क्रोध आ जाता है वह मारीच को मारने की बात कहता है।
रावण कहता है
या तो मेरे संग चलो या सारा ज्ञान भुला दूंगा
सीता के हरने से पहले यमलोकपुरी पहुंचा दूंगा
यह सुनकर मारीच मन ही मन सोचता है कि मरना ही है तो पापी के हाथों क्यों करूं मैं साक्षात भगवान श्री राम के हाथों मर कर सीधा स्वर्ग लोक को जाऊंगा।
मारीच रावण की मदद करने को तैयार हो जाता है रावण मारीच को अपनी योजना बताता है
तुम मायामृग बनकर जाना मैं बाबाजी बन जाऊंगा
तुम राम लखन को बहकाना मैं सीता को हर लाऊंगा
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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