
न आना तुम कभी अब इस गली में
( Na aana tum kabhi ab is gali mein )
न आना तुम कभी अब इस गली में
रखा है क्या बताओ दोस्ती में
न आया चैन पल भर भी मुझे तो
मिले गम ही हजारों जिंदगी में
खुदा मेरे बचा भी लो कहाँ हो
रही है डूब यह कश्ती नदी में
रहो मिल कर सभी अपने हैं यारा
नहीं है फायदा कुछ दुश्मनी में
तभी समझोगे गम के बादलों को
रहो तुम भी कभी इस बेकली में
बुराई ढूंढते हो हर किसी में
नजर डालो कभी अपनी कमी में
बनावट से रहो तुम दूर रीमा
मज़ा जीने का है बस सादगी में
रीमा पांडेय
( कोलकाता )
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