Rishi naar
Rishi naar

ऋषि नार

( Rishi naar )

 

विश्वामित्र मुनि संग वन गए जब लक्ष्मण राम
ताड़क वन ताड़का मारी रघुपति नंदन श्रीराम

 

मार्ग में प्रस्तर शिला बनी गौतम ऋषि घरनार
अहिल्या पतित पावन तब प्रभु ने किया उद्धार

 

राम जी अवतारी है लक्ष्मण जी बलधारी है
दीनों के रखवारे राम राम की लीला न्यारी है

 

कहे केवट चरण छूकर जब शिला होती नारी है
नैया प्रभु काठ की मेरी जीवन की पूंजी सारी है

 

जिनके चरण पखारे केवट वो है जग के तारणहार
घाट पर दर्शन सुख पाता आए जग के वो करतार

 

?

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

फुटपाथ | Footpath par kavita

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here