Ghazal in dinon
Ghazal in dinon

दुश्मनी की खूब गोली चली इन दिनों!

( Dushmani ki khoob goli chali in dinon )

 

 

दुश्मनी की ख़ूब गोली चली इन दिनों!

प्यार की डाली टूटी रही इन दिनों

 

फूल कैसे खिलेंगे यहाँ प्यार के

है लगी सी नज़र जो  बुरी इन दिनों

 

सुख गये धूप से नफरतों की ही गुल

है कहाँ प्यार की ताज़गी इन दिनों

 

प्यार की कौन बातें करेगा भला

नफरतों की बातें चल रही इन दिनों

 

इस सियासत ने ऐसा किया काम है

हर किसी में भरा  डर अभी इन दिनों

 

याद दिल से किसी की मिटाने को ही

हो रही है यहाँ मयकशी इन दिनों

 

चल रही  लूं यहाँ नफ़रतों से भरी

प्यार की  मुरझाई वो कली इन दिनों

 

मुल्क में है अमन ऐ आज़म कब मगर

लग  गयी  है नज़र सी बुरी इन दिनों

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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