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रोजगार | Rojgar chhand

रोजगार

( Rojgar )

मनहरण घनाक्षरी छंद

 

रोजगार नौकरी हो, कारोबार कारीगरी।।
कौशल कलायें कई, काज शुभ कीजिए।।

 

नौकरी या व्यवसाय, रोजगार काज करो।
परिवार फले फूले, ऐसा काम कीजिए।।

 

हर हाथ काम मिले, यश कीर्ति नाम मिले।
दुनिया में काम वही, बढ़चढ़ कीजिए।।

 

काम कोई छोटा नहीं, कर्मठ को टोटा नहीं।
मेहनत लगन से, शुभ कर्म कीजिए।।

 

समर्थ सबल आप, संपन्न सिरमोर हो।
नई नई प्रतिभा को, रोजगार दीजिए।।

 

नौकरी हो सरकारी, समझो ना तरकारी।
खुद साफ छवि रख, कर्म निज कीजिए।।

 

आमद अच्छी कमाओ, दुनिया में नाम पाओ।
कारोबार चुन कोई, प्रगति पा लिजिए।।

 

साहस लगन कर, होकर मगन नर।
खुद कोई कारोबार, रोजगार कीजिए।।

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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