Saath Lamhon ka
Saath Lamhon ka

साथ लम्हों का मिल जाए

( Saath lamhon ka mil jaye )

साथ लम्हों का मिल जाए।
चेहरा मेरा भी खिल जाए।
मिल जाएगा चैन मुझे भी।
मस्त बहारें मन को हर्षाए।

जब तू चाले चाल मोरनी की।
मन मयूरा झूम झूमकर गाए।
बज उठे दिल की घंटियां भी।
लबों पर मधुर मुस्कानें छाए।

तेरा मेरा साथ जन्मों का।
लम्हा लम्हा जीवन जीएं।
रफ्ता रफ्ता प्रेम का रस।
सुधारस प्याला हम पीएं।

तेरा साथ मिले तो दुनिया।
हो जाती है रंगीन सनम।
मेरे राजमहल की तू रानी।
बैठो पल पल निहारें हम।

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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