Saath Raho Jab Tum

साथ रहो जब तुम

( Saath raho jab tum )

 

तुम साथ रहते हो तो दुनिया हरी भरी सी लगती हैं।
हां साथ रहो जब तुम
यह वादी खिली खिली सी दिखती हैं।
साथ रहो जब तुम हर पल खुशी बरसती हैं।
हां साथ रहो जब तुम
पेड़, पौधे ,पत्तियां, भी महकी महकी सी लगती हैं।
हां साथ रहो जब तुम
हर जगह स्वर्ग सी दिखती हैं।
क्षण भर को साथ ना हो
हर चीज अधूरी लगती हैl
हां साथ रहो जब तुम
सर्दी गर्मी को छोड़ो
बे मौसम बारिश भी अच्छी लगती हैं।
साथ रहो जब तुम चेहरे से खुशी झलकती हैं l

 

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

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