ख़ूब आंखों में नमी है आजकल
( Khoob aankhon mein nami hai aajkal )
हाँ सताती मुफ़लिसी है आजकल
ख़ूब आंखों में नमी है आजकल
बढ़ गयी बेरोजगारी अब बहुत
यार पैसों की कमी है आजकल
हो गया इंसान से बढ़कर पैसा
यार सस्ती जिंदगी है आजकल
कौन उल्फ़त के फुवारे कर रहा
आग नफ़रत की लगी है आजकल
प्यार की गाता नहीं कोई ग़ज़ल
नफ़रतों की रागिनी है आजकल
लड़ रहे है नाम पर महजब के ही
गुफ्तगू वो हो रही है आजकल
खेलते थे प्यार से मिलकर बच्चें
वो गली सूनी पड़ी है आजकल
किस तरह मुफ़लिस ख़रीदेगा भला
दाल महंगी ही बड़ी है आजकल
बन गये अपनें अदू अपनों के ही
ख़ूब गोली ही चली है आजकल
दोस्ती का फूल आज़म देता रहा
वो निभाता दुश्मनी है आजकल