सफ़र-ए-हमरंग

( Safar-e-Hamrang )

 

नए साल मे प्लानिंग कर कुछ ऐसा हम कर जाएं,
लक्ष्य पाने की दिशा में आगे हम सब बढ़ते जाएं।
अपनी कमियों को बाहर कर अच्छाईयां अपनाएं,
जुड़ें जोड़ें साहित्य से हम सब संकल्प ये उठाएं।।

ईमानदारी से कोशिशकर यह रचना हम रच जाएं,
अपने आप से नए वर्ष का ये वादा हम कर जाएं।
कामयाबी की बुलंदी हेतु हम हमरंग ग्रुप अपनाएं,
न्यू पुराने साहित्य प्रेमियों से मेल मिलाप बढ़ाएं।।

जीत का भाव सर्वदा रखकर कविताएं रचते जाएं,
मार्गदर्शन एवं नई प्रेरणा सब सीखें और सिखाएं।
रोते हुए जनमानस को हम जमकरके खूब हंसाएं,
सोशल नेटवर्किंग की दुनिया में पैर अब फैलाएं।।

दिल को छूने वाली रचना लिखकर सबको सुनाएं,
कभी कहानी गीत-ग़ज़ल दोहें मुक्तक लिख पाएं।
होती रहती यहां प्रतियोगिता सम्मान पत्र भी पाएं,
निःशुल्क कई किताबों में रचना अपनी छपवाएं।।

वक़्त मिला तब भेजी मेंने भी लिखकर ये रचनाएं,
आकर्षक सम्मान पत्र संग अनेंक मेडल हम पाएं।
पूरी टीम इसमे अनुभवी निःस्वार्थ कर्म किए जाएं,
राष्ट्रभाषा जो हिंदी है हमारी उसका मान बढ़ाएं।।

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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