सहज नही होता

( Sahaj nahi hota ) 

 

द्वेष हो वहां समझौता नहीं होता
ईर्ष्या हो वहां कोई सामंजस्य नहीं
छल हो वहां कभी अपनापन नही
कपट हो वहां कभी कोई लगाव नहीं

दिखावा तो है कागज के फूल जैसा
वाणी मे खार गुलाब की डाली जैसे
मुस्कान मे धार दुधारी तलवार जैसे
नजर मे काम भरा हुआ प्यार जैसे

गले का मिलना शक्ति का आंकना
खिलखिलाहट मे विश्वास झांकना
आवभगत मे मंशा औकात परखना
व्यवहार मे होता पड़ोस को समझना

साथ चलकर भी कभी साथ न चलना
बातों के दरम्यान भी बात न करना
आपको देखकर ही आपको देख लेना
कह देता है बहुत कुछ इसे समझ लेना

आसान नहीं होता रिश्ता निभा लेना
पाने के लिए होता है बहुत कुछ देना
आपकी उड़ान से उनकी उड़ान ऊंची
सहज नही किसी की सोच को पढ़ लेना

 

मोहन तिवारी

 ( मुंबई )

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