Samay rukta nahi
Samay rukta nahi

समय रुकता नहीं

( Samay rukta nahi )

मनहरण घनाक्षरी

 

वक्त निकला जा रहा,
समय रुकता नहीं।
कालचक्र की गति को,
जरा पहचानिए।

 

शनै शनै बीत रहा,
हाथों से निकले रेत।
पल पल हर घड़ी,
समय को जानिए।

 

काल की नियति जानो,
ठहरता नहीं वक्त।
समय को बलवान,
जीवन में मानिये।

 

सदा चलता ही जाता
दिन रात प्रतिपल
संकट की घड़ी आए
जोश जज्बा ठानिये

 

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कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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