संत कबीर दास
( Sant Kabir Das )
आडंबर दिखावे का, करते सदा विरोध।
कबीर दास के दोहे, जनचेतना ला रहे।
अल्लाह के बंदे बने, राम के आराधक भी।
संप्रदाय सद्भाव के, प्रसून खिलाते रहे।
उपदेश मन भाए, वचन राह दिखाएं।
संत कबीर के दोहे, सबके मन भाते रहे।
सभी धर्मों से ऊपर, दिव्य दर्शन संत का।
ज्ञान भरी बातें हम, सारे गुनगुना रहे।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )