सनातन धर्म और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
परम आदरणीय सुधीजनो सादर प्रणाम
आज मैं जिस विषय पर अपना चिंतन आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं जिसमे आम लोगो के मन में उठने वाले प्रश्नों के उत्तर हो सकते हैं l मेरे लेख से किसी भी धर्म या धार्मिक व्यक्ति के हृदय को ठेस लगती है l उसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं जिनमे निम्न प्रश्नों के उत्तर की विवेचना है l1-सनातन धर्म कैसे आया ?
2- देवताओ का प्रादुर्भाव कैसे ?
3- सनातन ही आदि धर्म क्यों ?
आज विज्ञान ने भी यह सिद्ध किया है प्रथम आदि मानव किसी अंडज से पैदा हुआ होगा l चाहे वेद पुराण उपनिषद कुरान बाइबिल या अन्य धर्म ग्रंथ वे सभी मनु शतरूपा या आदम हौआ को प्रथम पुरुष और प्रथम स्त्री मानते हैं l
लेकिन ये कैसा ? सनातन धर्म भी कहता है संसार में महाप्रलय आया धरती जलमग्न हो गई l भगवान विष्णु मत्स्यअवतार लेकर प्रत्येक जीव के बीज को बचाया और उन्ही से पुनः सृष्टि का आरंभ हुआ l
चलिए हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण को आदर मानकर चिंतन करे l हम मान ले प्रथम पुरुष और स्त्री अंड से पैदा हुए होंगे वो जानवरो की तरह जीव हिंसा या फल पत्ती खाकर अपना उदर पोषण करते होंगे किसी वृक्ष को या उसकी डालियो पर विश्राम करते होंगे अब पानी से धूप से वर्षा से हिंसक जानवरो से इनकी रक्षा कोई और नहीं ये वृक्ष ही करते होंगे l
यही कारण उस वृक्ष में उस आदि मानव ने ईश्वर के रूप में रक्षक के रूप में वृक्ष के दर्शन किए और इस प्रकार सनातन धर्म का प्रथम देवता वृक्ष बना होंगा ।
अब आगे चलते हैं किसी दिन कोई पर्वत खिसका पत्थर से पत्थर टकराए आग की चिंगारी निकली जंगल में आग लग
गई जंगल जलने लगा पशु मरने लगे अब इस मानव को भय से ऐसा लगा कि आग ही सबसे शक्तिशाली है वह आग में ही ईश्वर के दर्शन कर और अग्नि को देवता मानने लगा l
इसी प्रकार आगे प्राकृतिक घटनाएं हुई घनघोर वर्षा और बाढ़ आई पेड़ उखड़ गए जानवर बह गए अब पानी को न आग रोक पाई न वृक्ष लोगो को मानव जल की शक्ति से प्रभावित हुआ उसे जल में ईश्वर दिखाई दिया l
अब जल यानी वरुण देवता हो गए इसी प्रकार मानव कहीं श्रद्धा से तो कहीं भय से सबसे पहले प्रकृति में ईश्वर के दर्शन किए क्रमशः मानव अनुभव चिंतन और के आधार पर अन्ततः
सत्य की खोज करता आगे बढ़ा l
कोई तो ऐसा है जिसने इस सृष्टि को बनाया शायद वह ही ईश्वर है पर उसने अब सूर्य चन्द्र वायु धरा आकाश वृक्ष समाजोपयोगी पशु पक्षी मानव समाज निःस्वार्थ सेवाएं प्रदान करने के कारण इन्हें देवता मानकर इनके प्रति अपनी श्रद्धा कायम रखी मेरा अनुमान है शायद इसी प्रकार आदि से अब तक सनातन धर्म ने प्रगति यात्रा कर मानवता का संदेश दिया ।